चीज़ भई महंगी है बज़ार में गेहूँ लगा अब डेढ़ अढ़इय्या।
भूखे रहैं तन ढाँकी सकै नहिं भारत के सिसु लोग लुगैय्या॥
टेर सुना द्रुपदी की 'रमा' गये वेगि लई पति राखि कन्हैय्या।
दीनदयाल दया करिये कस लाज विगारत लाज रखैय्या॥
चीज़ भई महंगी है बज़ार में गेहूँ लगा अब डेढ़ अढ़इय्या।
भूखे रहैं तन ढाँकी सकै नहिं भारत के सिसु लोग लुगैय्या॥
टेर सुना द्रुपदी की 'रमा' गये वेगि लई पति राखि कन्हैय्या।
दीनदयाल दया करिये कस लाज विगारत लाज रखैय्या॥