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चीरा जे भेजलै राम के, नव लाख दियरा बारि के / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चीरा<ref>वस्त्र</ref> जे भेजलै<ref>भेजा</ref> राम के, नव लाख दियरा बारि<ref>जलाकर</ref> के।
दुलहा जे ऐलै<ref>आया</ref> देर सेॅ, गभरू<ref>चढ़ती और उीारती जवानी वाला नवयुवक</ref> जे ऐलै देर सेॅ॥1॥
माला जे भेजलै राम के, नव लाख दियरा बारि के।
दुलहा जे ऐलै देर सेॅ, गभरू जे ऐलै देर सेॅ॥2॥
गोढ़ा<ref>पैर का एक आभूषण</ref> जे भेजलै राम के, नव लाख दियरा बारि के।
दुलहा जे ऐलै देर सेॅ, गभरू जे ऐलै देर सेॅ॥3॥
मोजा जे भेजलै राम के, नव लाख दियरा बारि के।
दुलहा जे ऐलै देर सेॅ, गभरू जे ऐलै देर सेॅ॥4॥
लाड़ो<ref>लाड़ली; दुलहन</ref> जे भैजलै राम के, नव लाख दियरा बारि के।
दुलहा जे ऐलै देर सेॅ, गभरू जे ऐलै देर सेॅ॥5॥

शब्दार्थ
<references/>