Last modified on 15 फ़रवरी 2017, at 17:35

चुप! चुप! चुप! / रमेश तैलंग

बडे़ अगर बोलें तो भैया,
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!

कान खिंचाई बच जाएगी,
मार-पिटाई बच जाएगी,
व्यर्थ लड़ाई बच जाएगी,
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!

बड़े सदा रहते गुस्से में,
हँसी कहाँ उनके हिस्से में?
डाँट-डपट पूरे किस्से में
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!