बहुत बार
कहीं नहीं होता
न विश्वास में
न आस में
उसके होंठों से
झरता हुआ
एक भी शब्द
बोलते हुए अक्सर
चुप भी होती है औरत
बहुत बार
कहीं नहीं होता
न विश्वास में
न आस में
उसके होंठों से
झरता हुआ
एक भी शब्द
बोलते हुए अक्सर
चुप भी होती है औरत