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चूनर का सितारा / कविता भट्ट

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विषाद मन का, डूबते दिन- सा,
                      लेखनी असहयोग कर बैठी।
 वो मेरी चूनर का सितारा तय था,
            उसकी प्रीत परायों से संयोग कर बैठी।
 हाथ में मौली -सा जिसका प्यार बाँधा,
              वही समय-गति, मेरा उपयोग कर बैठी।
चुप है- झिर्री से आता हुआ उजाला,
              सूरज है- विमुख, किरण वियोग कर बैठी।
अँधेरे में छोड़ दिया साथ परछाई -सा
                उसकी निष्ठा छल का प्रयोग कर बैठी।
दीपक है मेरा प्यार आँधी से संघर्ष करेगा
                समर्पण की चेतना हठयोग कर बैठी।