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चूहे जी ने दीप जलाया / संजीव ठाकुर

चूहे जी ने दीप जलाया
नंदन-वन के पथ पर
राजा शेर उधर से आया
चढ़कर अपने रथ पर।

खुश होकर राजा ने, रॉकेट
दे दिया उसे इनाम
चूहे की तो मौज हो गई
उसने किया सलाम!

इसके बाद जलाया रॉकेट
और चढ़ बैठा उस पर
तेजी से वह पहुँच गया
आसमान के ऊपर।

लेकिन जब रॉकेट ‘फट’ बोला
काँपी उसकी छाती
नीचे गिरा, शुक्र था, धरती
पर था मोटा हाथी।

हड्डी उसकी एक न बचती
पसली जाती टूट
टांगों का कुछ पता न चलता
माथा जाता फूट!

राजा जी के उस इनाम ने
उसको सबक सिखाया
दीये खूब जलाओ बच्चू
रॉकेट व्यर्थ उड़ाया।