भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चूहे राजा दिल्ली आए / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:32, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चूहे राजा दिल्ली आए
सोचा था घूमेंगे,
लाल किला देखेंगे या फिर
डिस्को पर झूमेेंगे।
मगर यहाँ पर था चुनाव का
ऐसा भारी दंगल,
चीख रहे थे पोस्टर सारे
हर दल में था दलदल।

झटपट भागे चूहे राजा
अपने घर को आए,
चुहिया से बोले-दिल्ली में
तबीयत अब घबराए।
वहाँ बड़ी भाषण की गरमी
वहाँ बड़े नारे हैं,
अपने घर में मीठी छैयाँ
घर के सुख सारे हैं।