भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेतावणी / कुंदन माली

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:25, 20 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंदन माली |संग्रह=जग रो लेखो / कुं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रे काछबा
थारी हिम्मत !
रैइजे थारी
खाल में

हुवै कुण थूं
फरक देखतौ
माछलि़यां री
चाल में।