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चैत्र / सुरेश विमल

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1.
रोज़ स्नान
पूजा-ध्यान
फिर शुरू
दादी-अम्मा के.।

रेत जाले मुक्त
पुराने मंदिर की
'परकम्मा' के... !


2.
कलुआ ने बाँध लिया
बोरिया बिस्तर
खत्म खेतों की कटाई

अब रेल, मोटर
और फुटपाथ
शहर में शुरू होगी
फिर
'जिन्नगी' की लड़ाई.।!

3.
फूल
तितलियों से
जाने कहाँ
उड़ गये...

सम्पन्न हो गया
'फाल्गुन महोत्सव'
वन-मण्डप
उजड़ गए... !

4.
शहतूत के
रेशमी पत्तों के बीच
एक छोटी
काली चिड़िया
चिंचियाती है...

खिंचावट-सी है
मन में
दुपहरी अब
सन्नाटों से
बतियाती है।