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चौकिया बैठल राजा दसरथ, मँचिया कोसिला रानी हे / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में दशरथ द्वारा अपने पुत्रों के मुंडन-संस्कार करने तथा कैकेयी के रुठने का उल्लेख हुआ है। राम का मुंडन-संस्कार विशेष रूप से करने तथा भरत का संस्कार साधारण ढंग से करने के निर्णय के विरुद्ध कैकयी रुष्ट है। वह भरत का मुंडन-संस्कार ही प्रमुख रूप से कराना चाहती है तथा राम का साधारण रूप सेॅ
लोकमानस ने ऐतिहासिक तथ्य को अपनी दृष्टि से देखा है तथा राम के राज्याभिषेक वाली घटना को मुंडन-संस्कार के रूप में वर्णित किया है।

चौकिया बैठल राजा दसरथ, मँचिया कोसिला रानी हे।
राजा, रामजी के करबैन<ref>करूँगा</ref> मुँड़ना<ref>मुंडन</ref>, भरथ जगमूँड़न हे॥1॥
अरिबर<ref>मुंडन-यश; साधारण ढंग से बिना किसी उत्सव का मुंडन-संस्कार</ref> नेउतब परिबर<ref>परिवार का अनुरणानात्मक प्रयोग</ref>, औरो से परिबर हे।
राजा, एक नहीं नेउतब कंकैयी रानी, बिरहा सेॅ माँतलि हे॥2॥
अरिबर आयल परिबर, औरो से परिबर हे।
राजा, एक नहीं ऐली कंकैयी रानी, बिरहा के माँतलि हे॥3॥
चौका पर सेॅ उठला राजा दसरथ, चलि भेल कंकैया गिरही हे।
रानी, कौने अपराध हमरा सेॅ भेल, नेउतबो फेरि देलन हे।
राजा, भरथ के करबै मुँड़नमाँ, रामजी के जगमूँड़न हे॥4॥

शब्दार्थ
<references/>