लगता था अनन्त प्रकाश इस खिड़की का
रहते थे जब तुम यहाँ, मेरे लिए
छिपती थी पेड़ों के ऊपर वह पत्तों के झुरमुट से
मेरे भरोसे की तरह ।
अस्त हो गया है प्रकाश वह और हो चुके हो तुम भी कब के
ओझल एक खड्ग के उजले प्रायद्वीपों में
चिथड़े-चिथड़े हो चुकी है शान्ति समूचे यूरोप में
जो बहती थी हमारे आर-पार कभी ।
चढ़ता हूँ अकेला अब मैं सीढ़ियाँ इस ऊँचे कमरे की
अन्धेरे चौक के ऊपर
जहाँ पत्थर और जड़ों के बीच है कोई अन्य
अक्षत प्रेमीजन
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेशचन्द्र शाह