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चौदह मासूमों की स्तुति / रसलीन

आदि नबी अली जान जन्नत खातून आन,
हसन हुसैन जान मारे जे जुलूम के।
जैन आबिदीन पुनि बाकर जाफर सुनि,
काजिम है मन भेदी सकल उलूम के।
अली रजा तकी फुनि, नकी असकरी गुनि,
साहबे जमन हैं हरन पाप भूम के।
योंहीं जिन धूम कीन्हौं पाइहौं न भेद टोम,
धाइ पग चूम आन चौदह मासूम के॥12॥