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छाये नभमंडल मैं, सलज सघन घन / लाल कवि

छाये नभमंडल मैं, सलज सघन घन,
कारे पीरे श्वेत रंग, धारतै रहत हैं।
'लाल' जू कहत, त्यौंही चहकि चुरैल ऐसी,
चंचला जवाल जाल, जारतै रहत हैं॥