भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छूकर / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:32, 23 नवम्बर 2016 का अवतरण
मेरे हाथ
उठाते हैं
तुम्हारे अस्तित्व से परदा
ढाँपते तुम पर
नग्नता का एक और आवरण
खोलते जाते
तुम्हारे देह के भीतर की देहों को
मेरे हाथ
खोज लाते
तुम्हारी देह के लिए
एक दूसरी देह
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’