भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छूट जात बड़े-बडे़ मुनियन के ग्यान ध्यान / महेन्द्र मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छूट जात बड़े-बडे़ मुनियन के ग्यान ध्यान
छूट जात आन-कान स्त्रीयन के फंदे में।
तप के बल छोड़-छोड़ जोगी जन भोगी होत
बड़े-बडे़ राजा लोगन बहे जात गंदे में।
धर्म के नशावे पाप हांकके बोलावे सुजस,
प्रभुता नशावे नाम होत मति मंदे में।
द्विज महेन्द्र बार-बार कहता हूँ कर प्रचार
भूल के पड़ों ना भाई नारियन के फंदे में।