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छोटी-छोटी गइया / ब्रजभाषा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल,
छोटौ सो मेरौ मदन गोपाल।

आगे-आगे गइया, पीछे-पीछे ग्वाल,
बीच में मेरो मदन गोपाल।
छोटी-छोटी गइया...

काली-काली गइया गोरे-गोरे ग्वाल,
श्याम वरन मेरौ मदन गोपाल॥
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो.....॥

घास खाएँ गइया, दूध पीवे ग्वाल,
माखन तो खावै मेरौ मदन गोपाल,
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो.....॥

छोटी-छोटी लकुटी, छोटे-छोटे हाथ,
बंसी बजावे मेरौ मदन गोपाल॥
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो.....॥

छोटी-छोटी सखियाँ मधुबन बाग
रास रचावे मेरौ मदन गोपाल।
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो.....॥
छोटौ सौ मेरौ मदन गोपाल॥