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"छोटी किरण / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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वहीं पहुँच जातीं ।
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बस मेरी तो ख्याति ।
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फिर भी क्यों वो
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है उनको डराती?
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हाथ में लेकर मैं
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अपने लिये 
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प्यारा -सा गाँव
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भावों की इक झील
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नन्हे-नन्हे- से
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विचारों के कमल
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खु़शबू -भरी
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प्रेम से सराबोर
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शब्दों की आत्मा
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तैराना हूँ चाहती ।
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पर जाने क्यों
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बना दी जाती,बड़ी
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मुश्किल और
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कँटीली राहें  मेरी
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बस बीनती
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एक-एक काँटे को
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बना लेती हूँ
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जोड़के इक घर।
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आश्वस्त हूँ मैं
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आ ना पाए कोई भी
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काँटों से डर।
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न मैं मज़बूर हूँ
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न ही कलम
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अब न बिखरेगी
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न ही टूटेगी
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बेधड़क होकर
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दौड़ेगी ये कलम।
  
 
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18:22, 18 जुलाई 2018 के समय का अवतरण


मेरा आस्तित्व
बहुत ही बौना है ।
बड़ी हस्तियाँ
जाने क्या हैं चाहती
जहाँ मैं जाऊँ
वहीं पहुँच जातीं ।
अदना - सी है
बस मेरी तो ख्याति ।
फिर भी क्यों वो
है उनको डराती?
छोटी किरण
हाथ में लेकर मैं
अपने लिये
छोटा- सा रोशनी का
प्यारा -सा गाँव
भावों की इक झील
नन्हे-नन्हे- से
विचारों के कमल
खु़शबू -भरी
प्रेम से सराबोर
शब्दों की आत्मा
तैराना हूँ चाहती ।
पर जाने क्यों
बना दी जाती,बड़ी
मुश्किल और
कँटीली राहें मेरी
बस बीनती
एक-एक काँटे को
बना लेती हूँ
जोड़के इक घर।
आश्वस्त हूँ मैं
आ ना पाए कोई भी
काँटों से डर।
न मैं मज़बूर हूँ
न ही कलम
अब न बिखरेगी
न ही टूटेगी
बेधड़क होकर
दौड़ेगी ये कलम।