भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोड़ो नऽ मैया मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ / पँवारी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 20 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

छोड़ो नऽ मैया मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ
लगना की बीरिया मऽरीऽ ढय चली।।
छोटी सी लाह मात पाय पड़ाहू ओ
तोरा दूध की निरागत करऽ देहूँ।।
छोड़ो नऽ बहना मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ
लगना की बीरिया मऽरीऽ ढ़य चली
छोटी सी लाहू बहना पाँय पड़ाहू ओ
तोरी राखी की निरागत करऽ देहूँ।।