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छोड़ रक्खा है ख़ुदा पर वह सम्भालेगा मुझे / अमित शर्मा 'मीत'

छोड़ रक्खा है ख़ुदा पर वह सम्भालेगा मुझे
ज़िन्दगी से मौत से सबसे बचा लेगा मुझे

ये हक़ीक़त है कि उसके खेल का सामां हूँ मैं
जब भी उसका मन करेगा तोड़ डालेगा मुझे

ख़ुद को मुझसे दूर उसने कर लिया तो क्या हुआ
देखना है! ज़ेह्न से कैसे निकालेगा मुझे

चाक पर रख कर ये मिट्टी मैंने पूछा कूज़ागर
अब दुबारा कौन-सी सूरत में ढालेगा मुझे

वो मिरे इन आँसुओं का सिलसिला रोकेगा यूँ
चन्द बोसे लब पर रक्खेगा चुपा लेगा मुझे