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"छ्म-छ्म करती गाती शाम / देवमणि पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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आँखों में सौ रंग भरे
 
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आज की निखरी-निखरी शाम।
 
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यादों के साहिल पर आकर
 
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पल दो पल को उतरी शाम।
 
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ओढ के सिंदूरी आँचल
 
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दिन का परदा उतर गया
 
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सबकी अपनी-अपनी शाम।
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19:34, 8 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

छ्म छ्म करती गाती शाम
चाँद से मिलने निकली शाम।

उड़ती फिरती है फूलों में
रंग-बिरंगी तितली शाम।

आँखों में सौ रंग भरे
आज की निखरी-निखरी शाम।

यादों के साहिल पर आकर
पल दो पल को उतरी शाम।

ओढ के सिंदूरी आँचल
हँसती है शर्मीली शाम।

दिन का परदा उतर गया
बड़ी अकेली लगती शाम।

अलग-अलग हैं सबके ख़्वाब
सबकी अपनी-अपनी शाम।