Last modified on 6 फ़रवरी 2020, at 17:17

जगवाळ / ओम बधानी

छै तु भि हुयाीं गुप चुप,छौं मैभि होयुं चुप-चुप
फूल हमारी माया कु खिललू कनक्वै

मन त्वैमा मैन जब खोली थौ
सोचि द्यौलु जबाब त्वैन बोली थौ
मै सारा लग्यंू बाटु हेरणू छौं,कब तैं रैली सोचणी चुप

जगवाळ म कखी पराण न चलि जौ
तेरि स्याणी मेरा मन म न चलि जौ
गेड़ खोली ज भेद बोली ज, कब तैं रैली सोचणी चुप

न हैंसदू बसंत जाणी न रूझौंद चैमास
मै ख्याल तेरू सोर तेरू बारा मास
बिन बोल्यां औ गौळा भेंट्यै जा, कब तैं रैली सोचणी चुप