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जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी / विनोद कुमार शुक्ल

जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी,
बिलासपुर में समाप्त होने वाली
छत्तीसगढ़ में सवार था।

अचानक गोदिया में
सभी यात्री उतर गए
और दूसरी कलकत्ता तक जाने वाली
आई गाड़ी में चढ़ गए।

एक मुझ से अधिक बूढ़े यात्री ने
उतरते हुए कहा
'तुम भी उतर जाओ
अगले जनम पहुँचेगी यह गाड़ी'

मुझे जल्दी नहीं थी
मैं ख़ुशी से गाड़ी में बैठा रहा
मुझे राजनांदगाँव उतरना था
जहाँ मेरा जन्म हुआ था।