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जगह थी दिल को तिरे, दिल में इक ज़माना था / सौदा
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जगह थी दिल को तेरे, दिल में इक ज़माना था
मिरे भी शीशे को इस संग में ठिकाना था
ख़रीद इश्क़ ने जिस रोज़ की मताए-हुस्न<ref> सौन्दर्य रूपी वस्तु</ref>
जो नक़्दे-जाँ<ref>जान रूपी पूँजी</ref>2 पड़ी क़ीमत तो दिल बयाना<ref>पेशगी</ref>3 था
जो ज़िक्र बाद मिरे होगा जाँनिसारों का
करोगे याद मुझी को कि वो इक फ़लाना था
जो हद्दे-रीश<ref>दाढ़ी की हद</ref>4 की रखने से मैं सुख़न<ref>कारण</ref>5 पूछा
हरेक बात में ज़ाहिद की शाख़साना<ref> अगर मगर</ref>6 था
ब-जुर्मे-नीम-निगह<ref>अधखुली आँखों का अपराध करके</ref>7 था न क़त्ले-'सौदा' फ़र्ज़
अज़ल<ref>मौत</ref> के वास्ते उसके ये इक बहाना था
शब्दार्थ
<references/>