भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जग में पग / ओम पुरोहित कागद

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:16, 2 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=आंख भर चितराम (मूल) / ओम प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जूण जातरा
भेळप में सधै
पूगै ठोड़
जका भेळा बधै।

नस
निजर सूं
पेट खाथो
टाळै टोळी सूं।

जग में पग
हळवा-हळवा उठै
पण भाजै मन
जद
हरियाळा सुपना
हुवै साम्हीं।