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जनमत / रामधारी सिंह "दिनकर"

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करो वही जो तेरे मन का ब्रह्म कहे,
और किसी की बातों पर कुछ ध्यान न दो।
मुँह बिचकायें लोग अगर तो मत देखो,
बजती हों तालियाँ, अगर तो कान न दो।