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जन्म दियो रे हरी नाम ने / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    जन्म दियो रे हरी नाम ने,
    आरे खुब माया लगाई

(१) मृत्यु की माया आवीया,
    आरे सब छोड़ी रे आस
    जम आया रे भाई पावणा
    आन मारे सोटा को मार...
    जन्म दियो रे...

(२) रोवता बालक तुम न छोड़ीयाँ,
    आरे माथा नई फेरीयो हाथ
    दुःशमन सरीका हो देखता
    झुरणा दई हो जाय...
    जन्म दियो रे...

(३) बारह दिन जन्मी सती,
    आरे पुरण जन्म की भक्ति
    नेम धरम से हो तु भया
    कैसा उतरा हो पार...
    जन्म दियो रे...

(४) कोप किया रे मन माही,
    आरे घरघर आसु बहावे
    हंसा की मुक्ती सुधार जो
    गया पंछी नही आवे...
    जन्म दियो रे...

(५) हस्ता बोलता पंछी उड़ी गया,
    आरे मुरख रयो पछताय
    झान मीरदिंग घर बाजी रया
    सिंग बाजे द्वार...
    जन्म दियो रे...