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जबाव बंद हैं / स्वाति मेलकानी

तैयार जवाब बंद हैं लिफाफों में
और
धूल भरी दरी के नीचे
दब गये हैं सवाल
इसी के ऊपर चादर बिछाकर
बैंठे हैं वे
जिनकी जवाबदेही बनती है।
चादर सफेद है
धुली
और सूखी
जैसे होते हैं
वे मस्तिष्क
जिन्हंे पाँलीहाउस में उगाया जाता है।
क्योंकि
असली सूरज से तपा
और खुली जमीन पर उगा
हर दिमाग
सीख ही जाता है
धूप में काला
और ठंड में लाल होना।
भर जाता है सुर्ख सवालों के
रंगीन बवंडर से
और कभी न कभी
चादर को उलटकर
दरी झाड़ देता है।