जब ओस में इक किरन नहाई लिक्खी
फ़ितरत ने जब ली अंगड़ाई लिक्खी
जब वज्द में कायनात आई लिक्खी
हम ने भी रुबाई मिरे भाई लिक्खी।
जब ओस में इक किरन नहाई लिक्खी
फ़ितरत ने जब ली अंगड़ाई लिक्खी
जब वज्द में कायनात आई लिक्खी
हम ने भी रुबाई मिरे भाई लिक्खी।