Last modified on 30 मई 2012, at 08:53

जब तक जहाँ रहेगा, हसरत बनी रहेगी / पुरुषोत्तम प्रतीक

जब तक जहाँ रहेगा, हसरत बनी रहेगी
बेशक चलाचली की सूरत बनी रहेगी

घर लूट कर हमारा परसाद बाँट देना
यूँ दान-पुन्न की भी आदत बनी रहेगी

रहना ज़मीन पर तुम दीवार की तरह से
यूँ आसमान की छत फिर छत बनी रहेगी

ये ज़िन्दगी बनेगी जो ठोकरें लगीं तो
रख लो बचा-बचाकर मूरत बनी रहेगी

अख़बार में छपे तो अख़बार हो रहोगे
दिल छाप दो दिलों पर क़ीमत बनी रहेगी