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"जब तक बची दीप में बाती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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यही  हमारा  सरमाया
 
यही  हमारा  सरमाया
  
अनगिन पथिक कारवाँ के,
 
देखो कैसे खिसक गए हैं
 
रहबर हमें यहाँ लाके।
 
 
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10:28, 6 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

जब तक बची दीप में बाती
जब तक बाकी तेल है।
तब तक जलते ही जाना है
साँसों का यह खेल है॥

हमने तो जीवन में सीखा
सदा अँधेरों से लड़ना ।
लड़ते-लड़ते गिरते–पड़ते
पथ में आगे ही बढ़ना।।

अनगिन उपहारों से बढ़कर
बहुत बड़ा उपहार मिला।
सोना चाँदी नहीं मिला पर
हमको सबका प्यार मिला॥

यही प्यार की दौलत अपने
सुख-दुख में भी साथ रही।
हमने भी भरपूर लुटाई
जितनी अपने हाथ रही॥

ज़हर पिलाने वाले हमको
ज़हर पिलाकर चले गए।
उनकी आँखो में खुशियाँ थीं
जिनसे हम थे छले गए॥

हमने फिर भी अमृत बाँटा
हमसे जितना हो पाया।
यही हमारी पूँजी जग में।
यही हमारा सरमाया