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जब तक भाषा देती रहेगी शब्द / शुभम श्री

साथ देगा मन
असंख्य कल्पनाएँ करूँगी
अपनी क्षमता को
आख़िरी बून्द तक निचोड़ कर
प्यार करूँगी तुमसे
कोई भी बन्धन हो
भाषा है जब तक
पूरी आज़ादी है ।