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"जब तुम अपनौ मौ खोलत हौ / महेश कटारे सुगम" के अवतरणों में अंतर
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15:17, 11 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
जब तुम अपनौ मौ खोलत हौ
आपस में नफरत घोरत हौ
जहर उगलवे दूध प्या रये
सांपन खौं पालत पोसत हौ
पैलें आग लगात घरन में
फिर पानी लैवे दौरत<ref>दौड़ना</ref> हौ
झूठी मूठी बस बातन सें
बादर के तारे टोरत हौ
अपनी शकल सुधारत नईंयाँ
तुम तौ ऐना<ref>आईना</ref> खौं कोसत हौ
बादर देख पियत पानी के
सुगम पोतलन<ref>ठण्डे पानी का मिटटी का बना बर्तन</ref> खौं फोरत हौ
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