भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब भी लिखना / रोहित रूसिया

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:47, 19 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहित रूसिया |अनुवादक= |संग्रह=नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

जब कोई पूछे
कि आँगन की
थकन का
क्या करें?
तुम तो बस
कोयल, गौरैया
और बया लिखना

जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

गम अपरिचित ने भी
बाँटे, पर
खुशी के दौर में
कौन अपना
साथ तेरे
खुश हुआ लिखना

जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना