जब मिले तुम मुझे ज़िन्दगी मिल गयी।
था अँधेरा बहुत रौशनी मिल गयी॥
खूब शिकवे गिले लोग करते रहे
पर हमें ज़िन्दगी की खुशी मिल गयी॥
था शज़र वह घना खूब छाया लिये
काटने की मगर बेबसी मिल गयी॥
अश्क़ तो दर्द की ले अमानत चला
अब लबों को जरा-सी हँसी मिल गयी॥
कुछ समन्दर के दिल में भी अरमाँ जगे
जब छलकती हुई इक नदी मिल गयी॥