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जब मुश्किलें हों सामने / अशेष श्रीवास्तव

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जब मुश्किलें हों सामने
छूटे न हौसला
तो जीना आ गया...

जब साथी साथ छोड़ दें
छूटे न रास्ता
तो जीना आ गया...

जब होएँ असफल तो भी
छूटें न कोशिशें
तो जीना आ गया...

कोसे न अंधकार को और
दीप जो जलायें
तो जीना आ गया...

जब सभी खड़े विरुध्द हों
छूटे न सत्य का पथ
तो जीना आ गया...

जब चाहतें पूरी न हों पर
रहे भरोसा ईश पर
तो जीना आ गया...

प्रतिकूल परिस्थितियों में जब
मुस्कुराहटें ना मिटें
तो जीना आ गया...

जब लोग अपमानित करें पर
मन में द्वेष ना हो
तो जीना आ गया...

दूसरों की भूलों को जब
दिल से हम भुला सकें
तो जीना आ गया...

अपनी ग़लती न हो तो भी
माफ़ी जब हम माँग सकें
तो जीना आ गया...

अपने अधिकारों से पहले
कर्तव्य पालन जो करें
तो जीना आ गया...

दूसरों के ग़म ख़ुशी जब
हमें अपने लगें
तो जीना आ गया...

दूसरों से चाहें जो व्यवहार
वो ही हम करें
तो जीना आ गया...

दीन दुखी असहायों को जब
मदद का अपना हाथ बढ़े
तो जीना आ गया...

सत्ता धन यश पद होने पर भी
मन घमंड से न उछले
तो जीना आ गया...

जब सब कुछ मिलने पर भी
ईश्वर को हम ना भूलें
तो जीना आ गया...