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जब मैं तुम्हारी गोद में सिर रखकर लेटा था / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद

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जब मैं तुम्हारी गोद में सिर रख कर लेटा था, कॉमरेड !
मैंने जो आत्मस्वीकृति की थी, मैंने जो तुमसे कहा था, वह
फिर से शुरू करता हूँ,
मैं जानता हूँ कि मैं अशान्त हूँ और दूसरों को अशान्त कर देता हूँ
मैं जानता हूं कि मेरे शब्द ख़तरनाक, प्राणान्तक हथियार हैं,
क्योंकि मैं शान्ति, सुरक्षा और सभी निश्चित नियमों
का सामना उन्हें अनिश्चित बनाने के लिए करता हूँ,
यदि सबने मुझे स्वीकारा होता, उसकी अपेक्षा में अधिक
दृढ़ हूँ, क्योंकि सबने मुझे नकारा है,
मैं न तो अनुभव, सावधानियों, बहुमत, न ही उपवास
की चिन्ता करता हूँ और न कभी चिन्ता की है,
और जिसे नरक कहा गया है, मुझे उसका भय
बहुत कम या कुछ भी नहीं है,
और जिसे स्वर्ग कहा गया है, मुझे उसका प्रलोभन
बहुत कम या कुछ भी नहीं है :
प्रिय कॉमरेड ! मैं यह स्वीकार करता हूँ कि इस बात की
न्यूनतम धारणा के बिना कि हमारा गन्तव्य क्या है,
अथवा हम विजयी होंगे या पूर्णतः दमित और परास्त,
मैंने तुमसे अपने साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया है ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद