Last modified on 30 नवम्बर 2008, at 19:07

जब वे आएंगे / जगतार

जब कभी वे दनदनाते आएंगे
मेरी सारी क़िताबें
पास की दलदल में
फाड़ कर फेंक देंगे

मेरे दोस्तों
और मेरी बीवी के ख़त
गुप्त-पत्र समझ कर ले जाएंगे

मेरी कविताएँ
मेरे आंगन में जलाने
और मुझे खोज न पाने के बाद
मेरे गाँव के सभी मज़ूर-महनतकशों से
राइफ़ल के कुन्दों और
क्रूर शब्दों के ज़ोर पर
करेंगे वे मेरे बारे में पूछ-ताछ

उनके चले जाने के बाद
काग़ज़ों की राख
ढूंढ़ेगी मुझे ग़मगीन, उदास
मुझ को घर में
और घर के आस-पास

मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :