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जब से उनकी मेहरबानी हो गई / सलीम रज़ा रीवा

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जब से उनकी मेहरबानी हो गई
जिंदगी अब रात रानी हो गई

उसने माँगा जिन्दगी सौग़ात में
नाम उसके जिन्दगानी हो गयी

इब्तदा-ए-जिंदगी की सुब्ह से
शाम तक पूरी कहानी हो गयी

रूठना हसना मनाना प्यार में
ज़िंदगी कितनी सुहानी हो गयी

खो गए मशरूफियत की भीड़ में
ख़त्म इसमें जिंदगानी हो गई

मैं भी उनका हूँ दिवाना इस तरह
जिस तरह मीरा दीवानी हो गयी

उसने माँगा जिन्दगी सौग़ात में
नाम उसके जिन्दगानी हो गयी

ना ख़ुदा जब ज़िंदगी का वो "रज़ा"
पार अपनी ज़िंदगानी हो गई