Last modified on 22 अक्टूबर 2013, at 06:44

जब से कन्हैया गइलें गोकुल बिसारि दीहलें / महेन्द्र मिश्र

जब से कन्हैया गइलें गोकुल बिसारि दीहलें।
आहो आहो ऊधो कवन रे जोगीनीयाँ जोगवा साघेली ए राम।
बटिया जोहत राधा सूखि गइलें तना आधा।
आहो आहो ऊधो पँतिया बाँचत छतिया फाटेला हो राम।
तोरा बिना बिन्दा बनवाँ लागता रे सूना सूना।
आहो आहो ऊधो, कवन सवतिया मतिया मारेली हो राम।
कहिहऽ उचित बात कान्हा कइलें भारी घात,
आहो आहो ऊधो, कइसे जवनियाँ जोगबा साधव हो राम।
तोहरा बिना मधुवन सूनसान आ हो श्याम,
आहो आहो ऊधो राधा रे जोगिनिया जोगवा साधे ली हो राम।
कहत महेन्दर श्याम भइलें विधाता बाम।
आहो-आहो ऊधो, राधा विरहिनिया जोगवा साधेली हो राम।