भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब से गई है माँ मेरी / कुलवंत सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 3 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुलवंत सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब से गई है माँ मेरी रोया नहीं.
बोझिल हैं पलकें फिर भी मैं सोया नहीं.

ऐसा नहीं आँखे मेरी नम हुई न हों,
आँचल नहीं था पास फिर रोया नहीं.

साया उठा है माँ का मेरे सर से जब,
सपनों की दुनिया में कभी खोया नहीं.

यादें न मिट जाएं मेरे दिल से कहीं,
बीतें हैं बरसों मन कभी धोया नहीं.

चाहत है दुनिया में सभी कुछ पाने की,
पायेगा तूँ कैसे वो जो बोया नहीं