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"जब से देखा है तिरे हाथ का चांद / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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जब से देखा है तिरे हाथ का चाँद<br>
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जब से देखा है तिरे हाथ का चांद<br>
मैंने देखा ही नहीं रात का चाँद<br><br>
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मैंने देखा ही नहीं रात का चांद<br><br>
  
 
जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में<br>
 
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मैंने देखा है तिलिस्मात का चाँद<br><br>
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मैंने देखा है तिलिस्मात का चांद<br><br>
  
 
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br>
 
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br>
एक जादू है ख़यालात का चाँद <br>
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एक जादू है ख़यालात का चांद<br>

23:29, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जब से देखा है तिरे हाथ का चांद
मैंने देखा ही नहीं रात का चांद

जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में
मैंने देखा है तिलिस्मात का चांद

रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं
एक जादू है ख़यालात का चांद