भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब से देखा है तिरे हाथ का चांद / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
− | जब से देखा है तिरे हाथ का | + | जब से देखा है तिरे हाथ का चांद<br> |
− | मैंने देखा ही नहीं रात का | + | मैंने देखा ही नहीं रात का चांद<br><br> |
जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में<br> | जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में<br> | ||
− | मैंने देखा है तिलिस्मात का | + | मैंने देखा है तिलिस्मात का चांद<br><br> |
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br> | रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br> | ||
− | एक जादू है ख़यालात का | + | एक जादू है ख़यालात का चांद<br> |
18:10, 15 अप्रैल 2008 का अवतरण
जब से देखा है तिरे हाथ का चांद
मैंने देखा ही नहीं रात का चांद
जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में
मैंने देखा है तिलिस्मात का चांद
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं
एक जादू है ख़यालात का चांद