Last modified on 1 अप्रैल 2015, at 16:43

जब से मन मोहन बिछुरे हैं / ईसुरी

जब से मन मोहन बिछुरे हैं,
भारी कसट परे हैं।
दिन ना चैन रात ना निंदिया,
खान-पान बिसरे हैं।
भूसन बसन सवह हम त्यागे-,
जे तन जात जरे हैं।
ईसुर स्याम सौत कुवजा पै,
जोगिन भेष धरे हैं॥