जब हदों से गुज़र गया पानी
तब सभी का उतर गया पानी
रेत पर गम़ज़दा ग़़ज़ल लिख कर
फिर इधर या उधर गया पानी
क्या तलाशें निशां सफ़ीनों के
जब नदी-घाट भर गया पानी
थी अभी तक बची कहीं ग़ैरत
आँख का आज मर गया पानी
रात से ही मची हुई भगदड़
बस्तियों में जिधर गया पानी