Last modified on 10 जुलाई 2011, at 18:07

जब हम उनसे मिलने को बेक़रार हुए / शहंशाह आलम

हम जब उनसे मिलने को बेक़रार हुए, खूब तेज़ बारिश
शुरू हो गयी। बहुत दिन से उनके घर नहीं गए थे हम
बहुत दिन बाद हमने नए-साफ़ कपड़े पहने थे जूते चमकाए थे
पसंद का स्वेटर पहना था। बहुत दिन बाद सारी दुनिया
अच्छी लग रही थी। वेश्याओं तक को ऊँटनियों तक को

जब हम उनसे मिलने को बेक़रार हुए, थ्री व्हीलर वालों ने
भाड़ा बढ़ाने की ख़ातिर हड़ताल कर दी। औरतों
के लिए चीज़ें कम पड़ने लगीं। क़ब्र खोदने वालों ने पृथ्वी के
सब हिस्सों पर अपनी हुकूमत का ऐलान कर दिया। और
अग़वा करने वालों को अपने यहां दावत देकर बुला लिया

जितनी गै़र-मामूली बातें हैं सब होने लगी हैं
आख़िर यह सब होना ही था कभी-न-कभी

मैं अपना तंदूर बेच देना चाहता हूं। हमारा मुल्क अब
गल्ला निर्यात करने की घोषणा करने लगा है। किसानों के पास
दुबले बैल बचे हैं और हल बचे हैं जबकि
लकड़हारा हल की लकड़ी पर निगाह
लगाए है। मैं शर्त लगाने के लिए तैयार हूं। अब पलामू आदि जगहों में
एक भी मौत भूख की वजह से नहीं होगी। आपको अच्छी क़िस्म
के गेहूं सरकारी गल्ले की दुकान से मिला करेंगे और चीनी सस्ती
जब हम उनसे मिलने को बेक़रार हुए
बेगार में खटाने के लिए
अग़वा कर लिए गए इस पृथ्वी के सारे बच्चे।