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जब हेलेन जीती थी / हरिवंश राय बच्चन / विलियम बटलर येट्स

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हम हताश होने पर चिल्लाया करते हैं,
दुनियावाले मामूली-मामूली बातों,
या कि शोर-गुलवाले सस्ते
           आमोदों के कारण अकसर
अपनी पीठ फेर लेते हैं
सुन्दरता से,
जिसे जीतकर हम लाए हैं
जग के भीषण सँघर्षों से;
फिर भी यदि हम
उस ऊँची मीनारोंवाले गढ़ के अन्दर
चलने-फिरनेवाले होते
जिसमें हेलेन — वह अनिन्द्य यूनान सुन्दरी—
औ’ उसके प्रियतम रहते थे,
ट्रॉय नगर के अगणित लोगों के समान ही,
कभी-कभी ही उसे देखते,
कभी-कभी ही एक शब्द उससे कह पाते।

मूल अँग्रेज़ी से हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनूदित

लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
              William Butler Yeats
                When Helen lived

WE have cried in our despair
That men desert,
For some trivial affair
Or noisy, insolent, sport,
Beauty that we have won
From bitterest hours;
Yet we, had we walked within
Those topless towers
Where Helen walked with her boy,
Had given but as the rest
Of the men and women of Troy,
A word and a jest.