जरा नजदीक आना चाहता था
गले लगकर रुलाना चाहता था।
मुहब्बत थी उसे मुझसे बहुत ही
मगर दिल मे दबाना चाहता था।
नजर भर देखकर मेरी नजर में
नजाकत से चुराना चाहता था।
हथेली पर उठाके अश्क़ मेरे
तबस्सुम को बचाना चाहता था।
जुबाँ से कह न पाया था अभी तक
जिगर जो भी सुनाना चाहता ठगा।
मिले है स्मिता जो ज़ख्म उसको
न जाने क्यों छुपाना चाहता था।