हो चुका हो विवाद तो
अपवादों पर भी ध्यान दो
ऐसा न हो
कि समय चला जाए मुस्कुराते हुए
रोते रहो 'अँधेरे में' तुम संकुचाते हुए
अभी समय है
'अपवाद' है जो लेकर आओ 'सम्वाद' में
यह तभी होगा जब सामने से नजर हटाकर
देखोगे अगल-बगल भी
कहीं वह अपवाद ही बनकर न रह जाए
बहुत कुछ होता है
नाक के सामने नहीं होता
होता है लेकिन
अपने सम्पूर्ण वजूद में
जरूरी है दुराग्रह को मेटना
पूर्वाग्रह से मुक्त होना भी
पहचानों आँखें खोलकर
कि कहीं यह न कहो कि
दिखाई नहीं दिया वह
जब देखने लायक थे हम कभी