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जलना या जल जाना अच्छा / हरि फ़ैज़ाबादी

जलना या जल जाना अच्छा
शम्अ या परवाना अच्छा

आ जाते तुम वही बहुत था
मत लाते नज़राना अच्छा

झूठ बोलकर ये क्या कहना
मैंने किया बहाना अच्छा

साथ एक का देने से है
दोनों को समझाना अच्छा

माना आज बुरा है लेकिन
कब ये रहा ज़माना अच्छा

खोज ठीक से बेटे यूँ ही
मिलता नहीं ख़ज़ाना अच्छा

बेनामी फूलों का जग में
खिलने से मुरझाना अच्छा