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जला के तीलियाँ अब दोस्त मिलने आया है / ज्ञान प्रकाश विवेक

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जला के तीलियाँ अब दोस्त मिलने आया है
कि मैने आज इक क़ाग़ज़ का घर बनाया है
                                
पता नहीं मुझे दावत में क्या खिलाए वो
जो अपने वास्ते पत्थर उबाल लाया है

भटकने के लिए दुनिया में रहनुमाओं ने
ज़मीं पे एक फ़िलिस्तीन भी बनाया है

पता लगाओ कि इन्सान है या वो रोबोट
जो तितलियों की चटाई बनाने आया है

बड़ों ने यत्न किए और थक गये लेकिन
पतंग तार से बच्चा उतार लाया है

खड़ा हुआ था वहीं आँसुओं के जलसे में
कि जिसने अपना लतीफ़ों से घर बनाया है